हे गरीबो
तुम भारत का प्रधानमंत्री बनाने का सपना मत देखो
तुम पैदा ही हुए हो
गरीबी में मरने के लिए
तुम उसी गन्दी बस्ती में रहो
हे गरीबो
तुम चाय बेचो
तुम सब्जी बेचो
तुम मोची का काम करो
तुम हमारे घरो में झाड़ू पोछा करो
हमारे घरो में आया का काम करो
लेकिन कभी प्रधानमंत्री बनाने की जुर्रत मत करना
अरे अगर कुछ बनाए की चाहत ही है तो
किसी ऑफिस में बाबु बन जाना
किसी दुकान में काम कर लेना
या कोई ठेला खोमचा लगा लेना
लेकिन
कभी भारत का प्रधानमंत्री बनाने का सपना मत देखना
तुम चाहे जिस जाति से हो
हमें इससे कोई मतलब नहीं
तुम हो तो गरीब या मिडिल क्लास
जिसे हम कहते है कैटल (जानवर ) क्लास
तुम्हरी भलाई इसी में है
कि
तुम हमारे युवराज की तरफ नजर भी
उठाकर मत देखना
क्योंकि
वो पैदा ही हुआ है
देश का प्रधान मंत्री बनाने के लिए
अरे कौन कहता है की हमारे राज में
मरते है लोग भूखे
हमारे प्रवक्ता ने बतया नहीं
या तुम बहरे हो
जो सुन नहीं सकते
जब दिल्ली जैसे जगह पर
१० रुपये में भर पेट सकते हो खा
मुंबई में भी यही है हाल
तो पुरे देश में तो
२ से ३ रुपये में
भर सकते हो पेट
अरे तुम तो जिंदगी
जीने के लिए ही जीते हो
हमारे तो
दादा परदादा भी
बड़े राजसी ठाट से जिए
क्या तुम्हरे खानदान में
कभी किसी ने
पेरिस में धुले
पहने है कपडे
हम तब भी पनते थे
हम आज भी पहनते है
और हा हम आगे भी
पहनते रहगे
तुम भारत का प्रधानमंत्री बनाने का सपना मत देखो
तुम पैदा ही हुए हो
गरीबी में मरने के लिए
तुम उसी गन्दी बस्ती में रहो
हे गरीबो
तुम चाय बेचो
तुम सब्जी बेचो
तुम मोची का काम करो
तुम हमारे घरो में झाड़ू पोछा करो
हमारे घरो में आया का काम करो
लेकिन कभी प्रधानमंत्री बनाने की जुर्रत मत करना
अरे अगर कुछ बनाए की चाहत ही है तो
किसी ऑफिस में बाबु बन जाना
किसी दुकान में काम कर लेना
या कोई ठेला खोमचा लगा लेना
लेकिन
कभी भारत का प्रधानमंत्री बनाने का सपना मत देखना
तुम चाहे जिस जाति से हो
हमें इससे कोई मतलब नहीं
तुम हो तो गरीब या मिडिल क्लास
जिसे हम कहते है कैटल (जानवर ) क्लास
तुम्हरी भलाई इसी में है
कि
तुम हमारे युवराज की तरफ नजर भी
उठाकर मत देखना
क्योंकि
वो पैदा ही हुआ है
देश का प्रधान मंत्री बनाने के लिए
अरे कौन कहता है की हमारे राज में
मरते है लोग भूखे
हमारे प्रवक्ता ने बतया नहीं
या तुम बहरे हो
जो सुन नहीं सकते
जब दिल्ली जैसे जगह पर
१० रुपये में भर पेट सकते हो खा
मुंबई में भी यही है हाल
तो पुरे देश में तो
२ से ३ रुपये में
भर सकते हो पेट
अरे तुम तो जिंदगी
जीने के लिए ही जीते हो
हमारे तो
दादा परदादा भी
बड़े राजसी ठाट से जिए
क्या तुम्हरे खानदान में
कभी किसी ने
पेरिस में धुले
पहने है कपडे
हम तब भी पनते थे
हम आज भी पहनते है
और हा हम आगे भी
पहनते रहगे
| क्योंकि हमें पता है | |
| हमें तुम्हे जातियों में बाटना आता है | |
| हमें तुम्हे धर्म में बाटना आता है | |
| अगर तुम नहीं माने | |
| बात हमारी | |
| तो देख लेना देश बर्बाद हो जायेगा | |
| आग लगा दूंगा मै | |
| अमन और शांति में | |
| तो ए जानवर छाप मनुष्यों | |
| हट जाओ | |
| रस्ते से | |
| सह्जादा | |
| आ रहा है | |